देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –
Dhami Cabinet Reshuffle उत्तराखंड की राजनीति भी पहाड़ के मौसम की तरह किसी छलावा से कमतर नहीं है। यहां की सियासत में नेता कितना भी प्रभावशाली और बहुमत वाला क्यों न हो जब बात कुर्सी की आती है तो उसे काफी दबाव का सामना करना पड़ता है। धामी कैबिनेट के मंत्री भी आजकल चर्चाओं में रहते है लिहाज़ा संभावना तो ये भी है कि दो से तीन मंत्रियों की जहाँ साँसे अटकी है वही खाली कुर्सी के लिए नए दावेदारों ने शपथ लेने की प्रेक्टिस शुरू कर दी है। लेकिन आप अपनी नज़र महाराज के सियासी प्रभाव पर भी ज़रूर जमाये रखिये –
Dhami Cabinet Reshuffle प्रेमचंद की जगह ले सकते हैं कौशिक
Dhami Cabinet Reshuffle राज्य बनने के बाद से अब तक एक दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री देखने वाले उत्तराखंड ने बीते कई महीनों से खाली पड़े पदों पर नए मंत्रियों की बाट जोह रहा है। अब ये इंतज़ार है जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अक्सर भाजपा कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री के दफ्तर तक सुगबुगाहट तेज होती है फाइलें भी रफ्तार पकड़ती हैं , कयासबाजी और संभावनाएं भी बाजार को गर्म करती हैं। मुद्दा होता है खाली पड़े मंत्रियों के पद और नेताओं की इंतजार करती लाल बत्ती की लालसा लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात
Dhami Cabinet Reshuffle एक बार फिर दिल्ली से हवा देवभूमि की तरफ बहती दिख रही है जहाँ बदलाव के बादल किसी की टेंशन बढ़ा सकते हैं तो किसी की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। कुर्सी पर नज़रे कई लगी है , दर्जनों सियासी दिल कई सपने पाले बैठे हैं लेकिन कब पूरी होगी लालसा ये जवाब हवा में है। फैसला है कि जो होता ही नहीं वक्त है जो कटता ही नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी न सिर्फ अपनी सरकार में मजबूत है , बल्कि केंद्र और पार्टी के आलाकमान के दरमियान भी उनके रिश्ते बेहद मजबूत है। फिर क्या वजह है कि वह न तो अपने पदाधिकारियों को लाल बत्ती बांट पा रहे हैं और न खाली पड़े मंत्री पदों पर विधायकों की ताजपोशी कर पा रहे हैं ?
Dhami Cabinet Reshuffle राजनीति के धुरंधर भाजपा कार्यालय में बैठकर सिर्फ संभावनाएं और उम्मीद जता रहे हैं , तो वही वरिष्ठ पत्रकारों की मंडली में चर्चा इस बात भी होती है कि एक अनार सौ बीमार जैसी हालत भाजपा के विधायकों में है , तमाम ऐसे विधायक जो वरिष्ठ हैं वो मंत्री बनने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। वही युवा मुख्यमंत्री धामी अपनी कैबिनेट में युवाओं और नए चेहरों को मौका देना चाहते हैं। भगत दा ने भी कुछ इनपुट और आउटपुट मिलने की संभावना जताई जाती रही है। इसी रस्साकशी में वक्त गुजर रहा है और अब तो पूरे 1 साल से ज्यादा हो गया धामी सरकार के दूसरे कार्यकाल को , लेकिन न मंत्री बने और न बांटे गए दायित्व
Dhami Cabinet Reshuffle विपक्षियों की माने तो वह इसे विधायकों की महत्वकांक्षा और आपसी दबाव कहते हैं। यानी जिस तरह कड़े फैसले लेने में मुख्यमंत्री धामी वक्त नहीं लगाते और अपनी एक अलग ही इमेज बना रहे हैं वही जब बात विधायकों को मंत्री बनाने और कार्यकर्ताओं को अलग-अलग आयोग और विभागों में पद बांटने की होती है तो सिर्फ इंतजार ही सामने नजर आता है। संभावनाएं अक्सर जताई जाती है कि अबकी बार सीएम धामी दिल्ली से लिस्ट फ़ाइनल कराकर ही लाएंगे जिस पर मोहर आलाकमान को लगानी है लेकिन यह कयास का बाजार है जनाब जो सिर्फ हवाओं में ही गुजर जाता है और जमीनी हकीकत पर देहरादून में कुछ नजर नहीं आता है।
Dhami Cabinet Reshuffle अंदर खाने की खबर तो यह भी है कि कुछ मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड दिल्ली में जांचा परखा जा रहा है और हो सकता है कि कुछ मंत्रियों को विदाई देकर नए चेहरों को मौका दिया जाए। क्योंकि लोकसभा चुनाव भी करीब है और ऐसे में उत्तराखंड भाजपा भी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के हौसले को कम नहीं करना चाहती , मगर हकीकत तो यह है कि अब असहनीय हो चुके इंतजार के खत्म होने के मानसून है और फैसले की घड़ी अभी तक शुरू ही नहीं हुई है।
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