Chardham Yatra 2023 : पिता की स्कूटर से मां को चारधाम कराने आया बेटा ! 1 Great News

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Chardham Yatra 2023 जब लोग धार्मिक यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर और सुख सुविधा का आनंद लेने के लिए मोती रकम खर्च कर रहे हैं ऐसे में ये खबर आपको सुकून देगी क्योंकि ऐसा भी होता है जब हम कृष्ण कुमार जैसे लोगों को देखते हैं। कर्नाटक के मैसूर निवासी पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर 44 वर्षीय दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार ऐसे ही मातृभक्त हैं जिन्होंने अपनी 73 वर्षीय माता को तीर्थयात्रा कराने का बीड़ा उठाया है। 

Chardham Yatra 2023 कृष्ण कुमार माता को तीर्थयात्रा कराने का बीड़ा उठाया है।

Chardham Yatra 2023
Chardham Yatra 2023

Chardham Yatra 2023 उनकी यह तीर्थयात्रा उनके पिता के 25 साल पुराने स्कूटर पर जारी है। वर्तमान में वह बुजुर्ग माता को उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम के दर्शन कराने के बाद तीर्थनगरी ऋषिकेश लौटे हैं।

Chardham Yatra 2023 पांच वर्षों से मां के साथ यात्रा पर कर्नाटक के मैसूर स्थित बोगाांदी गांव निवासी दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार की बात ही निराली है। वह पिछले करीब पांच वर्षों से अपनी माता के साथ एक पुराने स्कूटर पर भारत भ्रमण और तीर्थों की यात्रा पर निकले हैं। इस स्कूटर के अलावा इनके पास एक टूटी स्क्रीन का मोबाइल, दो हेलमेट, पानी की दो बोतलें, एक छाता और एक बैग, जिसमें कुछ जरूरी सामान रखा है। बस मां-बेटे की यात्रा के यही संगी साथी हैं।

Chardham Yatra 2023
Chardham Yatra 2023

Chardham Yatra 2023  दरअसल वर्ष 2015 में पिता के निधन के बाद एक दिन दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार की मां चुडा रत्नमा ने बेटे से कहा कि उसने आज तक संयुक्त परिवार के साथ रहते और परिवार के लालन-पालन की व्यस्तता के चलते घर के बाहर कोई भी स्थान नहीं देखा तो कृष्ण कुमार आश्चर्यचकित रह गए।उसी दिन कृष्ण कुमार ने माता को पूरे भारत की सैर और तीर्थाें के दर्शन कराने का निर्णय लिया। इसके लिए कृष्ण कुमार ने पिता के 25 साल पुराने स्कूटर को सही कर यात्रा का साथी बनाया और 16 जनवरी 2018 को अपनी यात्रा शुरू की।

Chardham Yatra 2023  70 हजार 268 किमी का सफर किया तय दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार अब तक अपने इस 25 साल पुराने स्कूटर पर मां के साथ 70 हजार 268 किमी का सफर तय कर चुके हैं। कृष्ण कुमार ने अपनी इस यात्रा को ”मातृ सेवा संकल्प यात्रा” नाम दिया है। इस यात्रा में वह भारत के अधिकतर राज्यों समेत नेपाल, भूटान, म्यांमार भी जा चुके हैं।उनका न कोई तय लक्ष्य होता है और न ही रुकने का कोई ठिकाना। यह भी पता नहीं कि उन्हें कब तक दूरी तय करनी है। कृष्ण कुमार कहते हैं कि उन्हें तो बस चलते ही जाना है, जितना हो सके, मां को देश और दुनिया का भ्रमण कराना है।


Chardham Yatra 2023  यात्रा के पीछे की प्रेरणा के बारे में कृष्ण कुमार बताते हैं कि जब लोग दुनिया से अंतिम विदा ले लेते हैं तो उनकी फोटो पर माला चढ़ाकर मृतक की इच्छाओं के बारे में बातें करते हैं, उन्हें याद करते हैं। जबकि रिश्तों को, व्यक्तियों का खयाल जीते जी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे यह मलाल लेकर नहीं जीना चाहते थे। इसलिए पिता के गुजर जाने के बाद मां को अकेला छोड़ने की बजाय उन्हें दुनिया दिखाने का निर्णय किया और यात्रा पर निकल पड़े।

 

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