Brave Police Constable नए साल पर बात शानदार खबर से करते हैं। यूँ तो आप पुलिस और खासकर सिपाहियों के बारे में कोई ख़ास विचार नहीं रखते होंगे लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक सामान्य सी महिला हेड कॉन्स्टेबल सीमा के बारे में जो देश भर की महिला कर्मियों के लिए एक नज़ीर हैं। सीमा ने बेहद कम समय में 21 लापता बच्चों को ढूंढ उन्हें अपनों से मिलवाया है।
Brave Police Constable करीने से प्लानिंग, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग
- Brave Police Constable पिछले दो महीने में उनका ज्यादातर वक्त बस, मेट्रो, रेलवे स्टेशनों, मंदिर, मस्जिद के आस-पास खाक छानते गुजरा हैं। इस साल अक्टूबर तक दिल्ली पुलिस की हेड कॉन्स्टेबल सीमा मेट्रो यूनिट के कोई अन्य पुलिसवाले की ही तरह थीं। लेकिन पिछले 50 दिनों में उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया जिस पर हर पुलिसवाले को नाज होगा। दिल्ली पुलिस की मेट्रो यूनिट में तैनात हेड कॉन्स्टेबल सीमा ने पिछले 50 दिनों में एक-दो या 5-10 नहीं बल्कि 21 लापता बच्चों का पता लगाया और उनके निराश मां-बाप के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी। इनमें से कई बच्चे महीनों से लापता थे तो कुछ एक दिन पहले ही गायब हुए थे। पिछले डेढ़ महीने में सीमा का ज्यादातर वक्त यूपी और हरियाणा में छापा मारते गुजरा है। इस दौरान वह लापता बच्चों के लिए बनी वेबसाइट ZIPNET को खंगालती रहीं और हर संभावित जगहों पर गायब हुए मासूमों की तलाश करती रहीं।
- Brave Police Constable दिल्ली के जनकपुरी मेट्रो स्टेशन पर तैनात सीमा ने लापता बच्चों को ढूंढने के लिए कड़ी मेहनत की। एक सीनियर पुलिस अफसर ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वह बड़े ही करीने से प्लानिंग करती है और फिर उसे जमीन पर उतारती है। उन्होंने बताया, ‘वह बच्चा चोरी करने वाले गैंग या इस तरह के अपराधियों के काम करने के तरीके को खूब स्टडी करती थी। अपराधों के बीच कोई पैटर्न है क्या, इसकी पहचान करती थी। फिर सूचनाएं जुटाती थी, मूवमेंट को ट्रैक करती थी और सुराग के आधार पर आगे बढ़ती थी।’
Brave Police Constable पूछताछ और टेक्निकल सर्विलांस से मिलते हैं सुराग
- Brave Police Constable सीमा सबसे पहले बच्चों के घर के आस-पास और स्थानीय बस, रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर पूछताछ से जांच की शुरुआत करती हैं। इसके बाद वह टेक्निकल सर्विलांस के जरिए अहम सुराग हासिल करती हैं। एक ऑफिसर ने बताया, ‘वह दिल्ली और दूसरे राज्यों में बच्चों को ट्रेस करती है और उन्हें संबंधित पुलिस स्टेशन के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर्स को सौंप देती है। लापता लोगों की खोज के लिए बने पुलिस दस्ते को भी सूचना दी जाती है और वैरिफिकेशन के बाद बच्चों को उनके पैरेंट्स के हवाले कर दिया जाता है।’
Brave Police Constable जब ब्लैंक कॉल्स से अपहरण करने वालों तक पहुंची
- एक केस में उन्होंने मुंडका से लापता 13 साल की बच्ची को उसके परिजनों से मिलाया। सीमा ने सबसे पहले लड़की के मां-बाप को आ रहे कुछ ब्लैंक कॉल्स को ट्रैक किया। पता चला कि ये नंबर उस लड़के के भाई का था जिसने लड़की को अगवा किया था। दरअसल, लड़की अपने मां-बाप के पास इसलिए फोन मिलाती थी कि उनकी आवाज सुन सके लेकिन वह डर के मारे कुछ बोलती नहीं थी। जब नंबर को ट्रैक किया गया तो वह यूपी के बरेली का निकला और पुलिस बच्ची को सही सलामत बरामद करने में कामयाब हुई।
Brave Police Constable दर्जनों मंदिर और मस्जिद की खाक छान 24 घंटे में बच्चे को किया बरामद
- Brave Police Constable एक 10 साल के लड़के को ढूढ़ने के लिए सीमा ने दर्जनों मंदिर और मस्जिद की खाक छाने। आखिरकार 24 घंटे के भीतर 26 दिसंबर को उसे नजफगढ़ के साई बाबा मंदिर के नजदीक से सकुशल बरामद कर लिया। दो साल पहले दिसंबर 2020 में दिल्ली पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने लापता बच्चों को ढूंढने पर पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया। अच्छा काम करने वालों को इनाम के साथ-साथ आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का भी ऐलान किया। तब से मेट्रो यूनिट लापता बच्चों को ढूंढने का काम कर रही है। तब से अब तक यूनिट ने 553 लापता बच्चों को ढूंढकर उनके परिजनों के हवाले किया। इनमें से 270 को इसी साल रिकवर किया गया।
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