NGT dehradun basti : 30 जून तक उजड़ेगी नेताओं की बसाई मलिन बस्ती

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NGT dehradun basti देहरादून सहित प्रदेश की सैकड़ों मलिन बस्तिओं पर उजड़ने का खतरा लम्बे समय से मंडरा रहा है। कांग्रेस सरकार में मलिन बस्ती के नियमितीकरण के लिए जहाँ पूर्व विधायक राजकुमार को बाकायदा अध्यक्ष बनाया गया था वहीँ त्रिवेंद्र सरकार में भी इस मुद्दे पर जमकर हल्लाबोल हंगामा हुआ था लेकिन थोड़े समय के ख़ामोशी के बाद आज फिर से नई चुनौती इन बस्तियों के सामने आकर खड़ी हो गयी है। क्योंकि 27 बस्तियों में बसे 525 मकानों को राहत नहीं मिली है और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नगर निगम के पक्ष को नकारते हुए हर हाल में इन अवैध बस्तियों को खाली करने के निर्देश दिए हैं।

 

भाजपा और कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक है बस्तियां NGT dehradun basti

NGT dehradun basti

अगर राजधानी में अवैध अतिक्रमण की संख्या बढ़ रही है तो इसके पीछे वोट की फसल को माना जाता है जो निगम , विधान सभा और लोकसभा चुनाव में हर दल के नेता जमकर काटते हैं। हांलाकि सरकार को तब ध्यान आता है जब पानी सिर से ऊपर चला जाता है। शहर में कुछ जगह अतिक्रमण ऐसी जगह पर हुए हैं जहाँ पर फ्लड प्लेन जोन है। ऐसे में बरसात के समय पर इन सभी घरों को खतरा मंडराता रहा है। इसलिए पूर्व में एनजीटी ने नदी किनारे अवैध अतिक्रमण चिह्नित करने के आदेश दिए थे। फिर नगर निगम ने नदी किनारे सर्वे कर 27 बस्तियों में 525 मकानों को चिह्नित किया और इसकी रिपोर्ट एनजीटी में सौंप दी थी।


आ गया 30 जून तक बस्तियां हटाने के आदेश

स्मार्ट सिटी की और तेज़ी से आगे बढ़ रहे देहरादून की ऎसी रिपोर्ट को देखते हुई एनजीटी ने 13 मई को सुनवाई हुई जिसमें नगर आयुक्त गौरव कुमार ने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद एनजीटी ने नगर निगम स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन बस्तियों को आपने चिन्हित किया हैं उन्हें 30 जून तक हर हाल में हटाना होगा। एनजीटी ने नगर निगम से नदी के फ्लड जोन के बारे में भी जानकारी ली और फ्लड प्लेन जोन का चिह्नीकरण हर हाल में कराने को कहा है, अगली सुनवाई अब 24 जुलाई को होगी।

नई बस्तियां भी चिन्हित हो सकती है


एनजीटी ने नगर निगम को फिर से फ्लड प्लेन जोन चिह्नित करने को कहा है। यदि रिस्पना नदी में फ्लड प्लेन जोन का चिह्नित हुआ तो कई अन्य बस्तियां भी अवैध अतिक्रमण के दायरे में आ सकती हैं और इन्हें भी हटाया जाएगा। फ्लड प्लेन जोन नदी का वह भाग है जिसमें नदी का पानी पूर्व में कभी बहा है। इसमें 25 सालों से ज्यादा पुराना रिकॉर्ड देखा जाता है। जिसके बाद फ्लड प्लेन जोन निर्धारित किया जाता है और इसके लिए एक्ट भी बना है। यदि कोई चैत्र फ्लड जोन चिह्नित हो जाता है तो इसे रिजर्व कर दिया जाता है। अब देखना होगा कि इस आदेश के पालन में किस तरह की सियासत और बयानबाज़ी सामने आती है।

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