Special Feature Story By – Anita Tiwari , Dehradun
Kedarnath Track 22 केदारनाथ 4 धामों में से एक धाम, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग व पञ्च केदार में से एक केदार है। 2013 में आई भीषण आपदा के बाद केदार पुरी पूरी तरह से तबाह हो गई थी और दुनिया भर के हिंदू आस्था से जुड़े तीर्थ यात्रियों को बहुत बड़ा आघात लगा था। लेकिन 2022 तक आते-आते केदारनाथ धाम को एक भव्य और दिव्य स्वरूप दिया जा चुका है। यात्रा को सुरक्षित संपन्न कराने के लिए सभी रास्ते और पड़ाव को सुविधा संपन्न बनाया गया है। न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार ने भी केदारनाथ धाम को एक नए स्वरूप में स्थापित करने के लिए लगातार विकास योजनाओं को आगे बढ़ाया और बड़े बजट के साथ मुश्किल हालातों में एक अद्भुत केदारधाम का निर्माण किया है ।
Kedarnath Track 22 रिकॉर्डतोड़ यात्रियों के आने की संभावना
- Kedarnath Track 22 लेकिन क्या आप जानते हैं जिस केदार पूरी को एक बार अपनी आंखों से निहारने का सपना हर तीर्थयात्री के मन में होता है वहां तक अगर आप पहुंचना चाहते हैं तो रूट क्या है ? कैसे वहां पहुंचा जाए ? और किन किन रास्तों से होकर आपका सफर गुजरेगा ? तो चलिए हम आपको इस खबर में पूरी जानकारी देते हैं और आपको बताते हैं कि आप अपनी केदारनाथ यात्रा कब, कैसे व किस रूप में सबसे उत्तम बना सकते हैं।
- Kedarnath Track 22 केदारनाथ का इतिहास (Kedarnath ka Itihas)
अगर आप केदारनाथ यात्रा करने का सोच रहे हैं तो सबसे पहले आवश्यक है इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानना। इस स्थल से कई पौराणिक कथाएं जुडी (Kedarnath ki Katha) हुई है जिसमे से सबसे मुख्यतया व मानी जाने वाली पांडव काल की है।
- कहते है महाभारत के भीषण युद्ध के बाद पांडव अपने पापों की मुक्ति के लिए भगवान शिव को ढूंढते हुए यहाँ तक पहुंचे। चूँकि महादेव उनसे कुंठित थे इसलिये उन्होंने एक बैल का रूप ले लिया किंतु भीम ने उन्हें पहचान लिया व उनको पकड़ने दोड़े। यह देखकर भगवान शिव धरती में अंतर्धान होने लगे लेकिन भीम ने बैल की पीठ पकड़ ली। तब से यहाँ बैल के पीठ रुपी मूर्ति की पूजा की जाती है। Kedarnath Track 22 इसके बाद आदि शंकराचार्य ने आज से कुछ हज़ारो वर्ष पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके बाद शंकराचार्य ने यही समाधि ले ली थी। उनकी समाधि केदारनाथ मंदिर के पास ही स्थित है।
जाने गौरीकुंड तक कैसे पहुंचा जा सकता है
हवाईजहाज से यात्रा (Hawaijahaj se Kedarnath) यदि आप हवाई मार्ग से आने का सोच रहे हैं तो यहाँ से सबसे पास का एअरपोर्ट जॉली ग्राउंड एअरपोर्ट, देहरादून है। यहाँ से केदारनाथ की दूरी 200 किलोमीटर के पास रह जाती है जिसके लिए आप बस या टैक्सी बुक करवा सकते हैं।
Kedarnath Track 22 रेल मार्ग से यात्रा (Relgadi se Kedarnath) गौरीकुंड के सबसे पास रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। यहाँ से भी केदारनाथ 200 किलोमीटर के आसपास है। आगे का रास्ता आप बस या टैक्सी से कर सकते है।
सड़क मार्ग (Bus se Kedarnath) यदि आप दिल्ली, चंडीगढ़ या आसपास के इलाके में रहते है तो आप अपने शहर से ऋषिकेश या सीधा गौरीकुंड की बस का भी पता कर सकते हैं। दिल्ली से रात को 8 से 9 बजे के बीच गौरीकुंड की एक बस भी चलती है।
Kedarnath Track 22 पैदल यात्रा या ट्रेक करके (Kedarnath Paidal Yatra)
यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है व 16 किलोमीटर का ट्रेक कर सकते है तो इससे उत्तम विकल्प कुछ और नही।
घोड़े पर यात्रा (Kedarnath Ghode par)
आप घोड़े पर यात्रा करने का विकल्प भी चुन सकते है। इसके लिए आपको ऊपर तक की चढ़ाई के लिए 2 हजार रूपए के आसपास व वापस नीचे उतरने के लिए 1 हज़ार रूपए के आसपास का मूल्य चुकाना पड़ेगा।
पालकी से यात्रा (Palki se Kedarnath)
आप चाहे तो घोड़े की बजाये पालकी का विकल्प भी चुन सकते है। इसमें आपको पालकी में बिठाकर ऊपर तक पहुंचाया जायेगा। इसके भी मूल्य समयानुसार व वजनानुसार अलग-अलग है।
मंदिर के आसपास के दर्शनीय स्थल (Kedarnath ke pas ki Jagah)
अब आप इतनी सुंदर जगह पर आये है तो आपको यह जानकर और भी खुशी होगी कि यहाँ देखने के लिए सिर्फ केदारनाथ मंदिर ही नही अपितु आसपास और भी बहुत स्थल है जो आप देख सकते है। आइये उनके बारे में बात करते हैं।
1. भीमशिला (Bheemshila)
Kedarnath Track 22 सबसे पहले बात करते है भीमशिला की जिसकी वजह से आज हमारा केदारनाथ मंदिर बचा हुआ है। आपको 2013 में आई भयानक त्रासदा याद ही होगी जिसने कितनी भीषण तबाही उत्तराखंड में मचाई थी व मंदिर के आसपास के क्षेत्र को तहस नहस कर दिया था। किंतु उसी समय बाढ़ के पानी में बहती हुई एक विशाल चट्टान आई और ठीक मंदिर के पीछे रुक गई जिससे बाढ़ का पानी दो हिस्से में बंट गया व मंदिर को कोई नुकसान नही पहुंचा। आज भी यह चट्टान मंदिर के पीछे स्थित है व भीमशिला के रूप में पूजी जाती है।
2. शंकराचार्य समाधि (Shankaracharya Samadhi)
मंदिर के पास ही आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि भी स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के 4 धामों की स्थापना करने के बाद केदारनाथ में ही 32 वर्ष की आयु में समाधि ले ली थी।
3. गाँधी सरोवर (Gandhi Sarovar)
इसे कान्तिसरोवर या चोराबरी ताल भी कहाँ जाता है। यहाँ पर गाँधी जी की अस्थियों के कुछ अवशेष बहाए गए थे इसलिये इसे गाँधी सरोवर भी कहा जाता है।
4. गौरीकुंड (Gorikund)
जब आप केदारनाथ की यात्रा आरंभ करते है तब आपको इस कुंड में स्नान करना होता है। इस ठंडी जगह पर भी इस कुंड का पानी गरम होता है।
इन सबके अलावा भी यहाँ आप कई जगह घूम सकते हैं जैसे कि भैरव मंदिर, फाटा, त्रिजुगीनारायण मंदिर, उखीमठ, अगस्तयमुनि इत्यादि।
Kedarnath Track 22 साथ में क्या लेकर जाएँ? (Kedarnath kya lekar jaye)
आपकी चार धाम यात्रा सुखद और सुरक्षित हो शाइनिंग उत्तराखंड न्यूज़ बाबा केदारनाथ से ऐसी प्रार्थना करता है।
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