History of Kedarnath : केदारनाथ में बैल के कुल्हे की आकृति का क्या है रहस्य ! 1 Big Truth

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देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की विशेष रिपोर्ट –

History of Kedarnath धार्मिक ग्रंथो में वर्णित कथा के अनुसार महाभारत युद्ध में विजय के पश्चात करीब चार दशक तक युधिस्ठिर ने हस्तिनापुर पर राज किया. इसी दौरान meanwhile एक दिन पांचो पांड्वो श्री कृष्ण के साथ बैठ कर महाभारत युद्ध की  समीक्षा में पांड्वो ने श्री कृष्ण से कहा हे नारायण हम सभी भाइयो पर ब्रह्म हत्या के साथ अपने बंधू बांधवों की भी हत्या कलंक है. इस कलंक को कैसे दूर किया जाय. तो कृष्ण ने पांड्वो से कहा की ये सच है की युद्ध में भले ही जीत तुम्हारी हुई है. लेकिन but तुम लोग अपने गुरु और बंधू और बांधवों को मारने के कारण पाप के भागी बन गये हो.परन्तु but इन पापो से केवल महादेव ही मुक्ति दिला सकते है.

History of Kedarnath केदारनाथ धाम से जुडी रोचक कथा

उसके बाद पांड्वो अपने मुक्ति के लिए चिंतित रहने लगे. और मन ही मन सोचते रहे की कब राज पाट को त्याग कर शिव जी की शरण में जाए. उसी बीच एक दिन पांड्वो को पता चला की वासुदेव ने दृश्य त्याग दिया है. और वो अपने परम धाम लौट गए है. यह सुनकर अब पांड्वो को भी पृथ्वी पर रहना उचित नहीं लग रहा था. गुरु पितामह और सखा सभी युद्ध भूमि में पीछे छुट गए थे. History of Kedarnath ऐसे में पांड्वो ने राज परीक्षित को सौप दिया और द्रोपदी समेत हस्तिनापुर छोड़ शिव जी की तलाश में निकल पड़े. लेकिन but जहा भी भगवान शिव को ढूढ़ते- ढूढ़ते जाते ये लोग तो भगवान शिव वहा से चले जाते. द्रौपदी शिव जी को ढूढती हुई हिमालय पहुच गयी.


लेकिन वहा  भगवान शिव छुपने लगे.

लेकिन युधिस्ठिर ने भगवान शिव को छुपते हुए देखे लिए. तब उन्होंने ने कहा आप हमसे कितना भी छुप लीजिये हम आपको ढूढ़ लेंगे. History of Kedarnath आप हमें इस लिए छुप रहे है क्योकि हमने पाप किये है. युधिष्ठिर के इतना कहने के बाद पाचो पांड्वो आगे बढ़ने लगे. उसी समय एक बैल उनपर झपट पड़ा. यह देख भीम उनसे लड़ने लगे. इसी बीच चट्टानों से बैल ने अपना सिर छिपा लिया. जिसके बाद भीम उसकी पूछ पकड़ कर खीचने लगे. तो बैल का धड सिर से अलग हो गया. और उस बैल का धड शिव लिंग में बदल गया. और कुछ क्षण पश्चात उस शिव लिंग से भगवान शिव प्रकट हुए.

शिव ने पांड्वो के पाप क्षमा कर दिए. आज भी इस घटना के प्रमाण केदारनाथ के शिव लिंग बैल के कुल्हे भी मौजूद है. भगवान शिव को साक्षात सामने देख पांड्वो ने उन्हें प्रणाम किया….. और उसके बाद भगवान शिव ने पांड्वो को स्वर्ग का मार्ग बतलाया. और फिर अंतरध्यान हो गए. उसके बाद पांड्वो ने उस शिव लिंग की पूजा अर्चना की और आज वही शिवलिंग केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है.History of Kedarnath

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