Virtual Touch : शर्मनाक है वर्चुअल टच , रहिये सावधान

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Virtual Touch नाबालिगों को गुड टच और बैड टच के अलावा वर्चुअल टच के बारे में भी समझाने की जरूरत है. तकनीक के युग में बच्चों को वर्चुअल टच की जानकारी होनी चाहिए. जानिए, क्या है वर्चुअल टच, नाबलिगों को इसकी जानकारी होना क्याें जरूरी है, आपको यहाँ हम बताते हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने क्यों यह टिप्पणी की ? आप ये तो जानते हैं कि बच्चों से जुड़े अपराधों में कमी लाने के लिए अक्सर उन्हें गुड और बैड टच के बारे में बताने को कहा जाता है, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर एक और अहम बात कही है. कोर्ट का कहना है कि नाबालिगों को गुड टच और बैड टच के अलावा वर्चुअल टच के बारे में भी समझाने की जरूरत है.

बच्चों को वर्चुअल टच की जानकारी होनी चाहिए Virtual Touch

Virtual Touch

नाबालिगों को इसकी जानकारी होना क्याें जरूरी है और दिल्ली हाई कोर्ट ने किस मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। आसान भाषा में समझें तो नाबालिगों को ऑनलाइन बिहेवियर के बारे में समझाना वर्चुअल टच है. इसके जरिए उन्हें ऑनलाइन होने वाले गलत व्यवहार के बारे में बताया जाता है. कैसे इस तरह के व्यवहार को समझें, इसकी जानकारी दी जाती है.ऐसी प्राइवेसी सेटिंग्स के बारे में समझाया जाता है जो उन्हें किसी तरह का नुकसान होने के बचाएं. उनके पास-पास ऑनलाइन सिक्योरिटी का खाका खींचा जाता है, ताकि तकनीक और इंटरनेट का इस्तेमाल करके कोई नुकसान न पहुंचा सके.

इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई करने वाली जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा का कहना है कि नाबालिगों के ऑनलाइन इंटरैक्शन को सुरक्षित बनाने और उन्हें सायबर स्पेस में छिपे खतरों से बचाने के लिए उपकरणों से लैस करने की जरूरत है. ‘वर्चुअल टच’ में ऑनलाइन व्यवहार के बारे में पढ़ाना, हिंसक व्यवहार के चेतावनी संकेतों को पहचानना, प्राइवेसी सेटिंग्स और ऑनलाइन दायरे के महत्व को समझाना शामिल है.जस्टिस शर्मा ने कहा, वर्चुअल टच समय की जरूरत है. इसके लिए कॉलेजों, दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और दिल्ली न्यायिक अकादमी -अदालत के आदेश के माध्यम से एक संदेश भेजना है ताकि ध्यान केंद्रित करने वाले प्रोग्राम, वर्कशॉप आयोजित किए जा सकें…

क्या था वो मामला, जिस पर कोर्ट ने की टिप्पणी ?

अदालत ने यह टिप्पणी  16 वर्षीय लड़की पर यौन उत्पीड़न करने में मुख्य आरोपी की मदद करने वाली उसकी मां की जमानत खारिज करते हुए की. उस महिला पर पीड़िता को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करने के साथ-साथ उसे एक कमरे में कैद करने का भी आरोप है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यह मामला उस स्थिति से संबंधित है जहां एक 16 वर्षीय लड़की का कथित तौर पर एक व्यक्ति ने अपहरण कर लिया था, जिससे वह सोशल मीडिया ऐप पर मिली थी, और उसे एक कमरे में रखा गया और 20-25 दिन तक उसका यौन उत्पीड़न किया गया. कोर्ट के आदेश में लिखा है, इस दर्द भरी कहानी में और गहरा मोड़ तब आया जब उसे पैसे के बदले में उसकी इच्छा के विरुद्ध 45 वर्षीय व्यक्ति के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया गया. सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने पाया कि, आज का वर्चुअल वर्ल्ड टीनएजर्स के बीच स्नेह बढ़ने का जरिया बन गया है. हालांकि, टीनएजर्स को इस बात की जानकारी नहीं है कि वो वर्चुअल वर्ल्ड को कैसे हैंडल करें जो उन्हें वेश्यावृत्ति या मानव तस्करी के खतरों से बचाएं.

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