Vellore Mutiny इतिहास की किताबों में 1857 के भारत विद्रोह के कई किस्से दर्ज हैं . लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये अंग्रेजों के खिलाफ पहला सैनिक विद्रोह नहीं था. इससे 50 साल पहले वेल्लोर में बड़ी तादाद में भारतीय सैनिकों ने हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाए थे. पूरी घटना में करीब 200 अंग्रेज मारे गए और जख्मी हुए. 1806 में 9 जुलाई को ये बगावत हुई, जो इतिहास में ‘वेल्लोर विद्रोह’ के तौर पर दर्ज है.आइए जानते हैं भारतीय सिपाहियों का 1806 में अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किस कारण हुआ और टीपू सुल्तान का इससे क्या कनेक्शन रहा.
क्यों सुलग उठा वेल्लोर विद्रोह ? Vellore Mutiny
यह दिलचस्प बात है कि 1806 में हुए सैनिक विद्रोह और 1857 की बगावत मिलते-जुलते आधार पर हुई थी. खराब वेतन और नस्लीय भेदभाव की वजह से भारतीय सैनिकों के बीच असंतोष की भावना बढ़ रही थी. सैनिकों का गुस्सा तब फूट पड़ा जब खबर फैल गई कि नई राइफल के कारतूसों में सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी. ये मुसलमानों और हिंदुओं दोनों के लिए अपमानजनक था. 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के सिपाही मंगल पांडे ने अपने अफसरों पर हमला कर दिया. वेल्लोर विद्रोह की शुरुआत भी ब्रिटिश हुकूमत के मनमाने नियमों से शुरू हुई. दरअसल, उस समय सिपाहियों के लिए नया ड्रेस कोड आया था. इसमें कुछ ऐसी चीजों पर पाबंदी लगा दी, जो हिंदू और मुसलमान संप्रदाय का अहम हिस्सा थे. नए नियम थे-
हिंदू सैनिक तिलक नहीं लगा सकते.
मुस्लिम सैनिक लंबी दाढ़ी नहीं रख सकते. उन्हें दाढ़ी कटाने का हुक्म दिया गया.
सैनिकों को गोल आकार की हैट पहनने का आदेश दिया गया.
नए नियमों में अंग्रेजों ने हिंदू और मुस्लिम भारतीय सिपाहियों की धार्मिक भावनाओं को सिरे से नजरअंदाज किया गया. बताया जाता है कि जब उन्हें अपनी पारंपरिक पगड़ी के बजाय नई गोल टोपी पहनने के लिए कहा गया, तो इससे सिपाहियों में संदेह पैदा हो गया कि उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नई टोपी जानवरों के खाल से बनी थी. हिंदू गाय की खाल और मुस्लिम सैनिक सुअरों की खाल से बनी टोपी को पहनना नहीं चाहते थे.
शिकायत करने वाले पर कोड़े बरसाए गए.
सैनिक अपने ब्रिटिश अफसरों से इन नियमों का विरोध कर रहे थे. लेकिन उनकी सुनने की बजाय, शिकायत करने वाले पर कोड़े बरसाए गए. कुछ को बर्खास्त कर दिया. नए नियमों के आने के कुछ महीनों बाद ब्रिटिश हुकूमत ने भारतीय सैनिकों का प्रचंड गुस्सा देखा.यह बात है 9 जुलाई, 1806 की रात की. उस वक्त वेल्लोर किले में टीपू सुल्तान की बेटी की शादी हो रही थी. दरअसल, 1799 में टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद उनका परिवार ईस्ट इंडिया कंपनी की हिरासत में वेल्लोर किले में रह रहा था. भारतीय सैनिकों के विद्रोह में टीपू सुल्तान के वंशजों ने सिपाहियों का साथ दिया था.शादी के बहाने विद्रोही सैनिक एक साथ इकट्ठा हो गए और आधी रात को उन्होंने किले पर हमला कर दिया. अधिकारियों के बैरकों को घेर लिया गया. किले के अंदर जो भी अंग्रेज अफसर दिखाई दिया, उसे मौत के घाट उतार दिया गया. माना जाता है कि रातों-रात 15 अंग्रेज अधिकारी और 120 अंग्रेज सैनिक मारे गए.