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Old Tehri : झील से बाहर आया टिहरी राज महल ! - Shining uttarakhand

Old Tehri : झील से बाहर आया टिहरी राज महल !

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Old Tehri  उत्तराखंड का सबसे शानदार इतिहास समेटे है टिहरी , झील की विशाल खूबसूरती में समाये पुराने टिहरी का वैभव जिसने देखा और सुना है वो आज भी कहता है कि राजवंश और इतिहास की उन निशनियों को भुलाया नहीं जा सकता जो टिहरी झील में समा गया है लेकिन जब भी टिहरी बांध की झील का जलस्तर कम होता है तो झील में डूबे उस पुरानी टिहरी शहर की वैभवशाली इमारते और इतिहास बयान करते निशानियों को देखकर आज की युवा टिहरी को पुरानी यादों का जैसे पिटारा खुल जाता है।

 

1815 में टिहरी नगर की रखी थी नींव Old Tehri

टिहरी रियासत के तत्कालीन महाराजा सुदर्शन शाह ने 30 दिसम्बर 1815 को टिहरी नगर की नींव रखी थी। देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 29 अक्टूबर 2005 को ऐतिहासिक टिहरी शहर महज 190 साल की उम्र में हमेशा के लिए टिहरी बांध की झील में विलीन हो गया था। 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील का जल स्तर जब कम होता है तो झील में दिखाई देने वाले अवशेष आज भी पुरानी टिहरी शहर की शान की दास्तां को बयां करते हैं। गढ़वाल में अपनी अलग संस्कृति और पहचान रखने वाले पुरानी टिहरी शहर के वर्ष 2005 में पूरी तरह से टिहरी बांध की झील में समाने पर टिहरी वासियों को ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून में विस्थापित किया गया।

जलस्तर घटने पर दिखने लगा राजा का महल

इन दिनों टिहरी बांध की झील का जलस्तर घटने से टिहरी झील में डूबी पुरानी टिहरी की इमारतें जिसमें राजा का महल, कौशल दरबार, घंटाघर और रानी का महल दिखाई देता है, जिसे देखकर पुरानी टिहरी वासियों की उस समय की यादें ताजा हो जाती है और टिहरी की याद में उनकी आंखे नम हो जाती हैं। गढ़वाल क्षेत्र का केंद्र बिन्दु कहे जाने वाले पुरानी टिहरी शहर के झील में डूबने के बाद उसकी पहचान भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

पुरानी टिहरी की यादें हुईं ताजा

टिहरी वासियों के लिए नई टिहरी शहर को तो बनाया गया, लेकिन पुरानी टिहरी की तर्ज पर यहां आज भी उन सभी चीजों की कमी है जो पुरानी टिहरी शहर की पहचान हुआ करती थी। लोगों का मानना है कि नई टिहरी में पुरानी टिहरी का एक म्यूजियम बनाया जाना चाहिए, ताकि पुरानी टिहरी की यादों को संजोया जा सके और आने वाली पीढ़ी एवं बाहर से आने वाले पर्यटक पुरानी टिहरी के बारे में जान सकें।

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