Mehandipur Balaji भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जिसका अपना एक समृद्ध और रोचक इतिहास रहा है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। मान्यताओं के अनुसार अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे इस मंदिर में स्थित भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू है, मतलब इसे किसी के द्वारा बनाया नहीं गया बल्कि ये अपने आप प्रकट हुई है। आज यह मंदिर जिस जगह स्थित है वहां पहले एक घना जंगल था और यहीं मंदिर के वर्तमान महंत जी के पूर्वजों को बालाजी की मूर्ति की अनुभूति हुई थी। जिसके बाद उन्होंने यही रुक कर इसकी पूजा करने का निश्चय किया। दंतकथा के अनुसार एक दिन हनुमान जी बालाजी और प्रेतराज सरकार तीनों महंत जी के सपने में आए और उन्होंने उनसे से अपनी सेवा-पूजा करने को कहा। इस घटना के बाद उन्होंने यहां भगवान हनुमान की पूजा करनी शुरू कर दी और भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया।
हनुमान जी को समर्पित है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर Mehandipur Balaji
मेहंदीपुर बालाजी के बारे में माना जाता है कि यह मंदिर चमत्कारी शक्तियों से भरा हुआ है और जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आता है उसे बुरी शक्तियों और आत्माओं से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर के असीम चमत्कारों के चलते हर दिन लाखों भक्त इस मंदिर पर अपनी अर्जी लगाने आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाना और यहां पर भूत-प्रेत से पीड़ित लोगों को देखकर भले ही आपको किसी हॉरर फिल्म की याद आ सकती है लेकिन यहां की यात्रा करने वाले कई भक्तों ने यहां आने के बाद अपने आसपास के माहौल में बदलाव का अनुभव किया है। यह मंदिर राजस्थान में स्थित है जहां पर काफी गर्म वातावरण होता है लेकिन यहां आने के बाद कुछ पलों के लिए आप ठंड का अनुभव करेंगे। यहां आने के बाद भक्तों को काफी भीड़ का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यहां काफी संख्या में भक्त आते हैं। भले ही आप किसी भी दिन बालाजी के इस मंदिर के दर्शन के लिए आयें लेकिन आपको यहां हमेशा ही श्रद्धालुओं की भयंकर भीड़ मिलेगी।
जहां एक तरफ किसी भी मंदिर में हमे घंटियों ओर मंत्रों की आवाजें सुनाई देती है, वहीँ मेहंदीपुर बालाजी मंदिर परिसर में कदम रखते ही आपको महिलाओं और पुरुषों के तेज चीखने की आवाजें सुनाई देने लगेंगी। यहां पीड़ित लोगों के चीखने की आवाजें आपको डरा सकती हैं। जहां एक तरफ भारत के अन्य मंदिरों को प्रसाद चढाने के लिए जाना जाता है, वहीँ दूसरी ओर महेंदीपुर बालाजी मंदिर एक ऐसी जगह है जहां पर कोई प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। हालाँकि मंदिर परिसर में कई दुकानदार प्रसाद बेचने की कोशिश करते हैं, मान्यता के अनुसार इनसे प्रसाद तो नहीं, लेकिन काले रंग की गेंद लेना जरुरी होता है क्योंकि इसे हनुमान जी को अर्पण करने से सभी दुख ओर परेशानियां दूर हो जाती है। माना जाता है कि इस काले रंग की गेंद को अपने शरीर के चारों और घुमा कर आग में फेकने से संकटमोचन हनुमान जी सभी परेशानियों को हर लेते हैं।
इस बात में कोई शक नहीं कि यह मंदिर कमजोर दिल वालों को डरा सकता है। जैसे ही आप इस मंदिर के परिसर में प्रवेश करेंगे तो आप अपने आसपास के माहौल में बदलाव महसूस कर सकते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की वास्तुकला इसकी कहानी और विलक्षणता को दर्शाती है। मंदिर में आने के बाद आपको निश्चित रूप से अपने आसपास नकारात्मकता महसूस होगी। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में कुल चार कक्ष हैं जिसमें से पहले दो कक्ष में हनुमान जी और भैरव जी की मूर्तियां हैं, लेकिन अंतिम दोनों हॉल में जाने के बाद आपको एक भयानक अनुभव मिल सकता है।
यहां पर कई पुरुष और महिलाओं को अपना सिर पीटते और हिलाते हुए देखा जा सकता है। यहां इनमे से कई को लोहे की चैन और जंजीरों से बंधा हुआ और जोर-जोर से चिल्लाते हुए भी देखा जाता है।मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से वापस जाते समय कोई भी प्रसाद, पानी या खाद्य पदार्थ आदि अपने साथ वापस ले जाना अशुभ माना जाता है। इसके साथ ही मंदिर में किसी भी अनजान से बात करने और छूने से बचने की सलाह भी दी जाती है क्योंकि किसी पीड़ित व्यक्ति को छूने से आप भी प्रभावित हो सकते हैं। इसके साथ ही जब आप मंदिर से जाते हैं तो कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखें क्योंकि इस तरह पीछे देखना किसी बुरी आत्मा को निमंत्रण देने जैसा हो सकता है।