Chanakya Niti सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि आप रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें। इससे न सिर्फ आप हेल्दी रहेंगे बल्कि स्किन और बाल भी अच्छे होंगे। यूं तो ज्यादातर लोग दिनभर कामों में बिजी रहते हैं, इस वजह से दिन में आराम नहीं कर पाते हैं लेकिन कई महिलाएं और पुरुष ऐसे भी हैं, जिन्हें दोपहर में रोज सोना पसंद होता है। आयुर्वेद में दोपहर या दिन के समय सोने को ‘दिवास्वप्न’ (Divaswapna in ayurveda) कहा जाता है, जिसके बारे में आयुर्वेद में काफी कुछ बताया गया है। हेल्थ का ध्यान रखने वाले कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर दोपहर में सोना कितना सही है?
दोपहर में सोना सेहत के लिए कितना सही होता है? Chanakya Niti
अक्सर इस बात पर लोगों की बहस हो जाती है कि दोपहर में सोना चाहिए कि नहीं. लेकिन जैसे एक सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसा ही यहां भी है. दोपहर में सोने के फायदे भी हैं और नुकसान भी. इसपर चाणक्य ने भी गहराई से बात की है. आइये जानते हैं कि उनके हिसाब से दोपहर में सोना सही है कि गलत.
क्या कहते हैं चाणक्य ?
दोपहर में सोने को लेकर चाणक्य बहुत सटीक बात कहते हैं. वे कहते हैं कि जो लोग दिन में सोते हैं उनकी मृत्यु जल्द हो जाती है. चाणक्य के अनुसार सोते वक्त इंसान की सांसे लंबी हो जाती हैं इसलिए दिन में कभी नहीं सोना चाहिए. इसके अलावा चाणक्य ये भी कहते हैं कि जो लोग दोपहर में सोते हैं उनकी सफलता का स्तर भी घटा रहता है और उनकी परफॉर्मेंस कभी श्रेष्ठ दर्जे की नहीं हो पाती है. उनकी क्षमताएं और विशेषताएं निखरकर नहीं आ पाती हैं.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स ?
वैसे डॉक्टर्स भी दिन में सोने को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक दोपहर में सोने वाले इंसान कई सारी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं. दोपहर में डॉक्टर्स 20-30 मिनट रेस्ट की सलाह देते हैं लेकिन हर दिन 2-3 घंटे की नींद आपकी सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव डाल सकती है. डॉक्टर्स की मानें तो इससे दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और हार्ट अटैक का खतरा बन जाता है. कई अलग-अलग अध्ययन में ये दावा किया गया है कि दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो दोपहर में सोने की वजह से बीमार हुए हैं. इसके अलावा ऐसा भी मानना है कि जो लोग दिन में सोते हैं उन्हें रात में सोने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और उन्हें रात में जल्दी नींद नहीं आती है.
धन पर भी असर ?
ऐसा कहीं नहीं लिखा कि दोपहर में सोने से किसी की माली हालत खराब हो सकती है. सेहत के हिसाब से इसे अच्छा नहीं माना जाता है. मगर रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका रूटीन अब पहले की तरह नहीं रह गया है. ऐसे में कई लोगों की नींद अगर रात में नहीं पूरी हो पाती है तो वे दोपहर में सोना प्रेफर करते हैं. धन के कम या ज्यादा होने का इससे कोई संबंध नहीं. लेकिन कई जगहों पर ये भी माना जाता है कि दोपहर में सोने से नकारात्मकता फैलती है. शरीर का तो नुकसान होता ही है साथ ही मेंटली भी इंसान वैसा पॉजिटिव फील नहीं करता है जैसा वो सुबह उठकर करता है. इसलिए दोपहर में सोने को कई मायने में बेहतर नहीं माना गया है.
पितृ पक्ष में दाढ़ी-बाल क्यों नहीं कटवाना चाहिए ? https://www.shininguttarakhandnews.com/pitru-paksha-hair-cutting/