Badrinath Temple बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने के साथ ही देशभर में सबसे ज्यादा जिस धार्मिक मान्यता और परंपरा की चर्चा रहती है वह है घृत कंबल पर घी की। जिससे देश की खुशहाली के जुड़े होने की सालों से मान्यता चली आ रही है।इस बार भी कपाट खुलने के बाद तीर्थ पुरोहित देश के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं। बदरीनाथ की मूर्ति को कपाट बंद करने के वक्त ओढ़ाया गया घृत कंबल जब हटाया गया तो उसपर घी पूरी तरह से लगा मिला।
भगवान बद्रीनाथ के द्वार खुलने के पश्चात ही धाम में एक ‘चमत्कार’ हुआ है जिसे तीर्थ पुरोहित देश के हित लिए भी शुभ संकेत मान रहे हैं। भीषण बर्फ की फुहारों और फूल वर्षा के दौरान बृहस्पतिवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए, लेकिन बद्रीनाथ धाम के गेट खुलने के बाद एक ऐसी घटना घटित हुई जो किसी भी चमत्कार से कम नहीं हैं। कपाट खुलने के बाद जब देखा गया तो भगवान बद्रीनाथ को ओढ़ाए गए घृत कंबल पर इस बार भी घी ताजा ही मिला।
घृत कंबल पर घी ताजा ही मिला Badrinath Temple
इतने कम तापमान होने पर भी घी सूखा नहीं। घृत कंबल पर घी का न सूखना देश के लिए शुभ माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यदि बदरीनाथ के माथे की तरफ कंबल से घी सूख जाता है तो हिमालय क्षेत्र में सूखे की स्थिति पैदा होती है, और निचले हिस्से में घी सूखे तो देश में विपत्ति आती है। भगवान बद्रीनाथ को घृत कंबल से लपेटने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे की वजह शीतकाल में पड़ने वाली ठंड को माना जाता है। इससे पहले कंबल पर गाय का घी और केसर का लेप लगाया जाता है।जिसके बाद उसे भगवान बद्रीनाथ को ओढ़ाया जाता है। घृत कंबल को देश के प्रथम गांव माणा की महिलाओं के द्वारा तैयार किया जाता है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन घी के लेप लगे कंबल को बद्रीनाथ के ओढ़ा जाता है और कपाट खुलने के दिन इस कंबल को तीर्थयात्रियों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। बद्रीनाथ धाम की कई परंपराएं सालों से चली आ रही है। ये कंबल खास तौर से माणा गांव की महिलाओं की तरफ से तैयार किया जाता है। कन्याएं और सुहागिन इस कंबल को एक दिन में तैयार करती हैं। जिस दिन ये घृत कंबल तैयार किया जाता है उस दिन कन्याएं और माताएं व्रत रखती हैं।
एक घृत कंबल (घी में भिगोया ऊन का कंबल) को भगवान बद्रीनाथ को ओढ़ाया जाता है। सर्दियों के बाद जब कपाट खोले जाते हैं तो सबसे पहले घी में लिपटे इस कंबल को हटाया जाता है। यदि कंबल का घी ज्यादा नहीं सूखा है तो उस वर्ष देश में खुशहाली रहेगी। यदि कंबल का घी सूख गया या कम हो गया तो उस वर्ष देश में सूखा या अफलातून बारिश की आशंका रहती है।
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