Aligarh Jama Masjid History : मस्जिद में सोना ही सोना – 1 Golden History Surprise World

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Aligarh Jama Masjid History टीवी सीरियल कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ बच्चन ने अलीगढ़ की जिस जामा मस्जिद को एशिया की सबसे अधिक सोने से लगी मस्जिद बताया था। उसकी सुरक्षा अल्लाह के भरोसे है। यकीन करना मुश्किल है लेकिन ये ऐतिहासिक मस्जिद किसी अजूबे से कम नहीं है। पढ़िए शाइनिंग उत्तराखंड न्यूज़ की इस ख़ास रिपोर्ट में पूरी कहानी

Aligarh Jama Masjid Histor इस मस्जिद में भरा है टनों गोल्ड
Aligarh Jama Masjid Histor इस मस्जिद में भरा है टनों गोल्ड

Aligarh Jama Masjid Histor इस मस्जिद में भरा है टनों गोल्ड

  • Aligarh Jama Masjid Histor देश में जब भी मस्जिदों का नाम लिया जाता है तो मन में एक परम्परागत education  ले रहे बच्चों की तस्वीर और किसी मौलाना की तक़रीर करती जमात का अक्स नज़र आता है। लेकिन आज हम आपको एक अनोखी मस्जिद का हैरान करने वाला सच बता रहे हैं। लेकिन क्या आपको यकीन होगा कि  ताजमहल की तर्ज पर बनी जामा मस्जिद में भरा है टनों सोना। जी हां, जामा मस्जिद का नाम तो अपने सुना होगा। पर यहां नई दिल्ली नहीं अलीगढ़ के जामा मस्जिद की बात हो रही है। यह मस्जिद एशिया की एकलौती मस्जिद है जिसकी गुंबद और मीनारें सोने से मढ़ी हुईं हैं।
Aligarh Jama Masjid History
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  • Aligarh Jama Masjid History ताजमहल की तर्ज पर बनी जामा मस्जिद में भरा है टनों सोना। जीहां, जामा मस्जिद का नाम तो अपने सुना होगा। पर यहां नई दिल्ली नहीं अलीगढ़ के जामा मस्जिद की बात हो रही है। यह मस्जिद एशिया की एकलौती मस्जिद है जिसकी गुंबद और मीनारें सोने से मढ़ी हुईं हैं। जामा मस्जिद के 17 गुंबदों को ठोस सोने से बनाया गया है जबकि ताजमहल और स्वर्ण मंदिर में सिर्फ सोने की परत चढ़ाई गई है। इसके साथ ही एक खासियत यह भी है कि, इसका प्रेम के प्रतीक ताजमहल से भी कनेक्शन है। बताया जाता है कि, ताजमहल के मुख्य इंजीनियर ईरान के अबू ईसा अंफादी के पोते ने जामा मस्जिद का निर्माण कराया था।
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Aligarh Jama Masjid History मस्जिद-ताज की कारीगरी में समानता

  • Aligarh Jama Masjid History  ऊपरकोट में स्थित जामा मस्जिद का निर्माण हजरत नवाब साबत खां, मुगल तातार जंगे बहादुर ने करवाया था। मस्जिद का निर्माण 1714 में शुरू हुआ था और 1741 में बनकर तैयार हुआ था। अगर गौर से देखेंगे तो जामा मस्जिद और ताजमहल की कारीगरी में बहुत समानताएं देखने को मिलती है।

1857 की क्रांति से भी है सम्बंध – 

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  • अलीगढ़ की जामा मस्जिद देश की पहली मस्जिद है जहां पर 1857 की क्रांति के 73 शहीदों की कब्रें हैं। इस वजह से इसे गंज-ए-शहीदान यानी शहीदों की बस्ती भी कहा जाता है। जामा मस्जिद में करीब 5000 लोग एक साथ बैठकर नमाज अता कर सकते हैं। इसमें महिलाओं के लिए अलग से नमाज अता करने की व्यवस्था है।

Aligarh Jama Masjid History  गुंबद पर खास लेप

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  • Aligarh Jama Masjid History  अलीगढ के पुराने जानकारों से बात करें तो पता चलता है कि मस्जिद के  गुंबद पर शीप और खास तरह के रंगीन पत्थरों का लेप किया गया है जिस वजह से मस्जिद पर चढ़ना मुश्किल है। लेकिन ये देश ही नहीं दुनिया के लिए आकर्षण का सबसे नायब नमूना है .. 

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