AI Death Calculator आज के समय विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, कि अब वो आपके मरने का सही समय भी बता पाने की क्षमता को विकसित करने में लगा है. लेसेंट डिजिटल हेल्थ में हाल ही में एक स्टडी पब्लिश हुई. इसमें बताया गया कि AI Death Calculator के जरिए आपकी मौत के सही समय का अंदाजा लगाया जा सकता है. माना जा रहा है कि आने वाले पांच सालों में यह टेकनिक हेल्थ सेवाओं में बड़े पैमाने पर उपयोग में लाई जाएगी.
एआई डेथ कैल्कुलेटर को आसान भाषा में समझें AI Death Calculator
मौत आनी है ये सबको पता है, कब आएगी इसकी खबर किसी को नहीं… पढ़ने में लग रहा कितना सही लिखा है, किसको ही पता होगा कि कोई किस दिन मरेगा. लेकिन, अगर आप ये सोच रहे हैं तो आप गलत है हुजूर. आज के समय विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, कि अब वो आपके मरने का सही समय भी बता पाने की क्षमता को विकसित करने में लगा है. लेसेंट डिजिटल हेल्थ में हाल ही में एक स्टडी पब्लिश हुई. इसमें बताया गया कि AI Death Calculator के जरिए आपकी मौत के सही समय का अंदाजा लगाया जा सकता है.
एआई डेथ कैल्कुलेटर से अब आपकी हेल्थ का भविष्य और जीवन की संभावनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है. हाल ही में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैंसेट डिजिटल हेल्थ में एक स्टडी में बताया गया कि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों और मौत के समय का अनुमान लगाने में सहायक हो सकते हैं. इस स्टडी के अनुसार, एआई से संभावित हार्ट अटैक के बारे में भी जाना जा सकता है.
इसको और आसानी से समझें तो इस नई डिवाइस को एआई-ईसीजी रिस्क एस्टीमेटर (AIRE) कहा गया है. रिसर्चर्स के अनुसार ये एआई बता देगा कि आपको दिल का दौरा कब पड़ सकता है. दिल खून को पंप करना कब बंद कर देगा? खून न पंप होने से शरीर में कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं. इससे मौत कई बार मौत भी जाती है. मामलों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 10 में से 8 केस में लोगों की मौत हो जाती है. इस स्टडी से अब एआई इस टेक्नोलॉजी को और बेहतर करने पर काम कर रहा है.
क्या है AIRE डिवाइस?
AIRE की खास बात यह है कि इसकी भविष्यवाणी 78% तक सटीक है और यह हार्ट रिदम जैसी समस्याओं की भविष्यवाणी कर सकता है. इस स्टडी में बताया गया कि ECG टेस्ट के आधार पर यह डिवाइस मरीज के जीवन की संभावनाओं की भविष्यवाणी करने में कारगर साबित हुआ है. इस टेस्ट में दिल की गतिविधियों का मिनटों में रिकॉर्ड तैयार होता है और इसमें छिपी स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान होती है. यह टेकनिक अभी तक कुछ ही प्रमुख अस्पतालों में टेस्टिंग के लिए तैयार की जा रही है, जिसमें नेशनल हेल्थ सर्विस के दो अस्पताल शामिल हैं.
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